याद वो नहीं जो तन्हाई मे आये,
याद वो नहीं जो अकेले मे रुलाये,
याद वो होती है, जो इन्सान को भीड़ में भी अकेला कर जाये.
yad wo nahi jo tanhai me aaye,
yad wo nahi jo akele me rulaye,
yad wo hoti hai, jo insan ko bhir maen bhi akela kar jaye.
Tuesday, July 22, 2008
इन्सान को भीड़ में भी अकेला कर जाये.
Posted by Lucky at 3:04 AM
Labels: Sher O Shayri, SMS
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1 comments:
बहुत बढिया!!
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