Thursday, February 5, 2009

बचपन की यादें

अभी ख़बर दिल्ली से आई
मक्खी रानी उसको लाई

टिड्डे ने हाथी को मारा,
हाथी क्या करता बेचारा


घुस बैठा मटके के अन्दर,
मटके में थे ढाई बन्दर

उन्हें देखकर हाथी रोया
रोते रोते ही वह सोया

रुकी पर आंसू की धारा,
मटका बना समंदर खारा

लगे डूबने हाथी बन्दर,
फँस गए थे उसके अंदर

उनको सुनकर आया मछर,
लात जमाई उसने कसकर

मटका फुटा बहा समंदर,
निकल पड़े सब हाथी बन्दर

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